मृत अवस्था मे मिले बाघ के सभी अंग थे सुरक्षित,पीएम के बाद अंतिम संस्कार, अब वन विभाग ने की जांच तेज…
कोरिया(छत्तीसगढ़) / जिले में एक बाघ की मौत की खबर ने वन विभाग को सतर्क कर दिया है। आज गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के संचालक एवं वनमण्डलाधिकारी बैकुंठपुर ने इस सम्बंध में जानकारी दी है कि 08 नवम्बर 2024 को दोपहर एक बजे ग्रामीणों से परिसर रक्षक गरनई को सूचना प्राप्त हुई कि ग्राम कटवार के पास खनखोपड़ नाला के किनारे एक बाघ की मृत्यु हुई है।
घटना स्थल बीट गरनई, सर्किल रामगढ़, परिक्षेत्र सोनहत, कोरिया वनमण्डल के असीमांकित वनक्षेत्र (कक्ष कमांक पी 196) के समीप है। संबंधित वनरक्षक के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया। तत्काल वन मण्डलाधिकारी कोरिया, संचालक गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुन्ठपुर, उप वनमण्डलाधिकारी उत्तर बैकुन्ठपुर, मुख्य वन संरक्षक सरगुजा वन वृत्त अम्बिकापुर, वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सरगुजा मौके पर पहुंचे।
वन विभाग के कर्मचारियों की टीम के द्वारा घटना स्थल के आसपास डेढ़ से दो किलोमीटर परिधि में तलाशी की गई। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि बाघ का शव दो-तीन दिन पुराना था। 09 नवम्बर को, वन विभाग, पुलिस, एनटीसीए प्रतिनिधि और ग्रामीणों की उपस्थिति में चार सदस्यीय पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा बाघ का पोस्टमार्टम किया गया। पशु चिकित्सकों ने अपनी रिपोर्ट में बाघ की मौत का संभावित कारण जहरखुरानी को बताया है। पोस्टमार्टम के बाद बाघ का दाह संस्कार कर दिया गया और उसके महत्वपूर्ण अंगों को प्रयोगशाला परीक्षण के लिए संरक्षित किया गया। इस मामले में, गोमार्डा अभ्यारण्य के डॉग स्क्वायड और वन विभाग की संयुक्त टीम द्वारा आसपास के क्षेत्रों में सघन जांच की गई।
सम्पूर्ण कार्यवाही के दौरान अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) रायपुर उपस्थित रहे एवं समस्त वन अधिकारियों/कर्मचारियों को अपराधियों की पतासाजी करने एवं वाइल्ड लाइफ क्राइम की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। जांच में यह भी पाया गया कि बाघ के स्किन, नाखून, दाँत।और अन्य सभी अंग सुरक्षित थे, किसी भी प्रकार का अंग-भंग नहीं हुआ था। बाघ की मौत के संभावित कारणों की गहन विवेचना की जा रही है, जिससे वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।